“चैत्र की चिंता सबसे भारी”, “बुरा ना मानो होली है”

मित्रों, अभी फाल्गुन मास है,  फिर चेत्र मास लग जायेगाI आपको पता है “चैत्र की चिंता सबसे भारी”, इसलिए पेश हैं कुछ पंक्तियाँ-

1) जिन मित्रों को तितलियाँ देखना पसंद है तो वह अभी से ही ‘बाजूका’ बनकर किसी खेत में खड़े हो जाएँ वर्ना क्या पता चेत्र में तितलियाँ गर्मी के कारण विदेश प्रस्थान कर लें !

(2)  जिन मित्रों को अपने किसी जान-पहचान वाले के साथ खुन्नस निकालनी हों तो निकाल लें, अभी तो “बुरा ना मानो होली है” कह कर बच जायेंगे!

(3) जिन मित्रों को ‘अपनी’ किसी मित्र से भावनाओं का इज़हार करना हो तो करले, अभी तो “बुरा ना मानो होली है” कहकर पिटने से बच सकते हैं !

(4) जिन विवाहित मित्रों को अपनी सास का शुक्रिया वाक्यों द्वारा करना हैं की ‘उनकी कली खिल कर फूल बन गयी है और आप fool बन गए हैं’ तो करले, अभी तो “बुरा ना मानो होली है” कहकर व अपना मासूम मुखड़ा दिखा कर बच जायेंगेI वर्ना हर बार की तरह इस बार भी आप अपना दिल हल्का करने से वंचित हो जायेंगे !

आपका- Cool Atul !

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One thought on ““चैत्र की चिंता सबसे भारी”, “बुरा ना मानो होली है”

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